गणपति की महिमा Ganpati Ki Mahima
गणपति को विधि-विधान से घर में स्थापित करने से हमारे अंदर उनके सद्गुणों का संचार होता है और हम उन्नति कर पाते हैं
जब किसी काम को आरंभ करते हैं, तो कार्य का श्री गणेश हो गया, ऐसा बोलते हैं । इसी से भगवान गणेश की महत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है । दरअसल हमारे जीवन के हर क्षेत्र में गणपति विराजमान हैं । पूजा-पाठ, विधि-विधान, हर मांगलिक-वैदिक कार्यो को प्रारंभ करते समय सर्वप्रथम गणपति का सुमिरन करते हैं । यह बुद्धि के अधि देवता व विघ्ननाशक हैं ।
गणेश शब्द का अर्थ है- गणों का स्वामी । हमारे शरीर में पांच इंद्रियां पांच कर्म इंद्रियां तथा चार अंतः करण है तथा इनके पीछे जो शक्तियां हैं, उन्हीं को 14 देवता कहते हैं । वास्तु शास्त्र में भी इन्हें अहम् स्थान दिया गया है । वास्तव में गणेश अपने आप में संपूर्ण वास्तु हैं । गणेश जी की सवारी मूषक हो या फिर उनका पहनावा, या फिर बात की जाए उनके प्रिय भोग मोदक की । उनके शरीर का हर हिस्सा किसी ना किसी ग्रह के दोष को दूर करता है । श्वेत गणपति की आराधना करने से जीवन में भौतिक सुख एवं समृद्धि का प्रभाव होता है । और यदि विधि विधान से श्वेत गणपति की पूजा की जाए, तो इससे शुक्र ग्रह का दोष भी दूर होता है । उनका वाहन मूषक जासूसी से सूचनाएं एकत्र करने का प्रतीक है । ऐसा माना जाता है कि गणेश जी का मूषक भी हमारे जीवन को हितकारी व खुशहाल बनाने के लिए चमत्कारिक परिवर्तन ला सकता है ।
साथ ही राहु के दोष को दूर करता है मूषक । गणेश जी का गजमुख बुद्धि, अंकुश नियंत्रण, अराजक तत्वों पर लगाम लगाने का प्रतीक माना जाता है । ऐसी मान्यता है कि इस मुख्य की वजह से शनि का दोष भी दूर हो जाता है । गणेश जी की पूजा करने से जीवन में धैर्य एवं वीरता का समावेश होता है ।
ऐसी मान्यता है कि गणेश जी के लंबे दांत जीवन में आने वाले केतु के प्रभाव को कम करते हैं क्योंकि बड़े दांत ओजस्विता व वचन बद्धता का प्रतीक होते हैं । गणेश जी के बड़े दांत होने के कारण ही जीवन में आने वाले बड़े से बड़े संकट भी आसानी से दूर हो जाते हैं । गुड मिश्रित मोदक गणेश जी को प्रिय है । मोदक से ग्रुप कृपा प्राप्त होती है, क्योंकि यह सूर्य और गुरु का प्रतीक होता है । सूर्य और गुरु का प्रभाव जीवन में ओजस्विता प्रदान करता है । गुरु कृपा हमारे क्षेत्र को आध्यात्मिक व पवित्रता से पूर्ण करती है ।
गणेश जी को आक के फूल ज्यादा पसंद है, जो चंद्रमा का प्रतीक है । यह हमारे जीवन में सौम्यता, शीतलता लाता है । डिप्रेशन से पीड़ित लोगों पर भी चंद्रमा सकारात्मक प्रभाव डालता है । जामुन भी गणेश जी को बहुत प्रिय है । जामुन में राहु और शनि का मिश्रित रूप होता है, जिसका प्रभाव चर्म रोगों एवं मधुमेह जैसे जटिल रोगों को ठीक कर सकता है । इसी तरह गणेश जी को अर्पित किया जाने वाला दूर्वा घास विद्या एवं बुद्धि की प्रतीक होती है । इससे व्यापार में लाभ होता है । गणेश के बड़े-बड़े कान हैं, जो सबकी सुनते हैं, किंतु कार्य स्व विवेक से करते हैं ।